वाद विवाद प्रतियोगिता

सांयकालीन सत्र के अर्थशास्त्र विभाग द्वारा “क्या वास्तव में कैशलेस अर्थव्यवस्था बनना उचित है” नामक शीर्षक पर एम०ए० अर्थशास्त्र (प्रथम वर्ष) में क्लासरूम एक्टिविटी के रूप में वाद विवाद प्रतियोगिता आयोजित की गई। इस कार्यक्रम का आयोजन अर्थशास्त्र विभाग की अध्यक्षा प्रो० मनिका गुप्ता के द्वारा करवाया गया। इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों को दो टीम में विभाजित किया गया, जिसमें टीमों ने कैशलेस अर्थव्यवस्था के पक्ष और विपक्ष में अपने अपने विचार रखे। पक्ष में अपने विचार रखते हुए विद्यार्थियों ने कहा कि इससे टैक्स चोरी तथा काले धन पर रोक लगेगी और आमजन की बैंकिंग सेवाओं तक व्यापक पहुंच होगी। लेकिन विपक्ष की टीम ने अपने विचार रखते हुए कहा कि कैशलेस अर्थव्यवस्था की राह में कई चुनौतियां हैं जैसे अधिकांश जनसंख्या के पास नेट बैंकिंग का अभाव होना, साइबर सुरक्षा में खामियां और सभी जगह इंटरनेट की सुविधा का ना होना। लेकिन अंततः निष्कर्ष यही निकला कि कैशलेस अर्थव्यवस्था की राह मुश्किल तो है लेकिन इसे व्यवहार में लाने के लिए सरकार को कारगर उपाय करने होंगे ताकि कैशलेस अर्थव्यवस्था हर व्यक्ति की पहुंच सका सके और अर्थव्यवस्था को समृद्ध किया जा सके। डॉ० मनोज बंसल ने इस पर अपने विचार रखते हुए कहा कि कैशलेस आज के समय की जरूरत है, उन्होंने विद्यार्थियों को इस से होने वाले फायदे तथा नुकसान के बारे में विस्तार से बताया। कार्यक्रम के अंत में सायंकालीन सत्र के प्राचार्य प्रभारी डॉ हरिंदर गुप्ता ने अर्थशास्त्र विभाग को बधाई दी और कहा कि कैशलेस अर्थव्यवस्था चुनौतियों से भरी हुई है लेकिन सरकार इस दिशा में सकारात्मक प्रयास कर रही है। शीघ्र ही कैशलेस अर्थव्यवस्था हर व्यक्ति के पहुंच में होगी। इस अवसर पर डॉ मीनू अग्रवाल, प्रो० रेनू जांगडा, प्रो० अनुराधा अरोड़ा आदि उपस्थित रहे।