संस्कृत साहित्य एवं प्रकृति- चित्रण ‘ परम्परा कार्यक्रम

संस्कृत विभाग की ओर से ‘ संस्कृत साहित्य एवं प्रकृति- चित्रण ‘ परम्परा कार्यक्रम के अन्तर्गत आज महाविद्यालय के प्रांगण में पक्षियों के जल – दाना व्यवस्था हेतु कुछ सकोरे टांगे गए। कार्यक्रम का आरम्भ करते हुए कॉलेज के प्राचार्य डॉ संजय गोयल ने कहा पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता हैं, उसी को देखते हमने विभिन्न आयोजन करने की योजना बनाई है। बढ़ती गर्मी के कारण इसी संदर्भ में यह व्यवस्था की गई है। उन्होंने संस्कृत विभाग कि विभागाध्यक्षा डॉ विनय सिंघल तथा डॉ दीपक शर्मा को इस प्रयास के लिए बधाई देते हुए कहा कि आज सभी मनुष्य को पर्यावरण संरक्षण एवं प्रकृति के सभी जीवों के प्रति संवेदनशील होने की अत्यन्त आवश्यकता है। महाविद्यालय ऐसे संवेदनशील कार्यक्रमों के प्रति हमेशा अग्रसर रहेगा। उन्होंने संस्कृत-विभाग के इस प्रयास की बहुत सराहना की। संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ विनय सिंघल ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा संस्कृत का संपूर्ण साहित्य प्रकृति के सभी तत्वों और सभी जीवो के प्रति प्रेम भावनाओं से भरा हुआ है जहां स्थान स्थान पर ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’ ‘वृक्ष देवेभ्यो नमः’ “सर्वे भवन्तु सुखिनः’ इत्यादि अनेकानेक श्लोकों के द्वारा सभी जीवों के प्रति दया भाव रखने का एक विशेष संदेश दिया गया है। इसी संदेश को प्रसारित करने के लिए इन सभी सकोरों पर अनेक प्रेरणात्मक संस्कृत श्लोकों को लिखा भी गया है। इस अद्वितीय अवसर पर डॉ अशोक अत्रि, डॉ एस॰ पी॰ वर्मा , डॉ नरेश गर्ग, प्रो॰ अंजलि , प्रो॰मोहित , डॉ किरण गर्ग , प्रो॰ राजेश एवं संस्कृत के अनेक छात्र- छात्राएँ उपस्थित रही। डॉ दीपक शर्मा ने सभी का धन्यवाद किया।