राधा कृष्ण सनातन धर्म महाविद्यालय, कैथल के पंजाबी विभाग द्वारा हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, पंचकुला के सहयोग से “गुरु तेग बहादुर की शिक्षाएँ : एक दार्शनिक अध्ययन” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन प्रातःकालीन सत्र महाविद्यालय के सभागार में किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में विद्वानों, शोधार्थियों, प्राध्यापकों और विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ पुष्पगुच्छ भेंट और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। राष्ट्रीय विद्या समिति एवं गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष अश्वनी शोरवाला ने राष्ट्रीय संगोष्ठी हेतु पंजाबी विभाग को अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित कीं।राष्ट्रीय विद्या समिति के उपाध्यक्ष श्याम बंसल ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से अवसर की शोभा बढ़ाई और आयोजकों को अपनी बधाई प्रेषित की।महाविद्यालय के प्राचार्य राजबीर पराशर ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया और संगोष्ठी की महत्ता पर प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि,कुलदीप चन्द अग्निहोत्री, कार्यकारी अध्यक्ष, हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, पंचकूला, ने अपने व्याख्यान में गुरु तेग बहादुर की शिक्षाओं और उनके जीवन-दर्शन को वर्तमान संदर्भों में व्याख्यायित किया। उन्होंने कहा कि गुरु जी का दर्शन केवल धार्मिक नहीं बल्कि मानवीय चेतना और सार्वभौमिक मूल्य-व्यवस्था का प्रतीक है। उनका बलिदान यह सिद्ध करता है कि वास्तविक धर्म केवल पूजा या अनुष्ठान नहीं बल्कि समाज में न्याय, करुणा और सहिष्णुता की स्थापना है। गुरु नानक देव जी के उपदेशों की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए गुरु तेग बहादुर ने कठिन परिस्थितियों में धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए। अग्निहोत्री ने यह भी कहा कि आज जब जीवन-मूल्य संकट के दौर से गुजर रहे हैं, तब गुरु जी की शिक्षाएँ और उनका त्याग समाज को नई दिशा प्रदान करते हैं।
इसके उपरांत शिव शंकर पहवा,अध्यक्ष, सेवा संघ,ने अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा कि गुरु नानक साहिब का दर्शन कर्मशीलता और संघर्ष की प्रेरणा देता है। उनकी वाणी और सामाजिक जीवन में संतुलन बनाए रखना ही वास्तविक धर्म है। पहवा ने गुरु तेग बहादुर के जीवन को मानव चिंतन की महान परंपरा का हिस्सा बताया और कहा कि उनकी शिक्षाएँ आधुनिक युग में भी प्रासंगिक बनी हुई हैं। मुख्य वक्ता कुलदीप सिंह,अध्यक्ष, पंजाबी विभाग,कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, ने अपने व्याख्यान में कहा कि कोई भी स्थायी नहीं है और इस संसार की भौतिक वस्तुएँ भी चिरस्थायी नहीं रहतीं। उन्होंने गुरु जी की शिक्षाओं को सादगी और अनुशासन से जोड़ा। उनके अनुसार गुरु जी का संदेश था कि सरलता, आत्मसंयम और आध्यात्मिकता ही जीवन का वास्तविक आधार है। कुलदीप सिंह ने गुरु जी के दर्शन को भौतिकता से परे मानवीय मूल्यों पर आधारित बताया।
तकनीकी सत्र में विभिन्न शोधार्थियों और विद्वानों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए। इस सत्र में रिसोर्स पर्सन,मेजर सिंह,पूर्व प्राचार्य, गुरु नानक खालसा कॉलेज, करनाल,उपस्थित रहे और उन्होंने विद्वानों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षाएँ मानवता, त्याग और आध्यात्मिकता पर आधारित हैं। उन्होंने बताया कि गुरु जी ने सादा जीवन और भौतिक मोह से दूर रहने का संदेश दिया तथा यह स्पष्ट किया कि सांसारिक संपत्ति क्षणभंगुर है, इसलिए मनुष्य को आत्मिक उन्नति और ईश्वर-भक्ति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। गुरु जी ने धर्म और न्याय की रक्षा को सर्वोपरि माना और अन्याय व अत्याचार का विरोध करते हुए मानवाधिकारों की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए। उनकी वाणी धैर्य, संयम और सहिष्णुता का संदेश देती है और समाज में भाईचारे, समानता और करुणा को सर्वोच्च मानती है। मेजर सिंह खेहरा ने कहा कि गुरु जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि सत्य, न्याय, त्याग और ईश्वर-भक्ति से ही जीवन को सार्थक और मानवता को सुरक्षित बनाया जा सकता है
उप-प्राचार्य सीमा गुप्ता, गीता गोयल, मंजुला गोयल, विनय सिंगल, बृजेन्दर कुमार, सुरुचि शर्मा, सूरज वालिया, अंजलि कुर्रा, ऋचा लांग्यान संगोष्ठी की आयोजन समिति में शामिल रहे और इसके सफल आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अंत में रेखा तंवर ने संगोष्ठी की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की और सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का समापन स्मृति चिन्ह वितरण और भोज के साथ हुआ। इस संगोष्ठी ने यह संदेश दिया कि गुरु तेग बहादुर की शिक्षाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उनके समय में थीं और वे मानवता के लिए सदा प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी। इसके अतिरिक्त संगोष्ठी में महाविद्यालय के अन्य प्राध्यापकगण भी विशेष रूप से उपस्थित रहे जिनमें रामफल मौन, गगन मित्तल, विकास भारद्वाज, अजय शर्मा, जयबीर धारिवाल,अशोक अत्री, विशाल आनंद, अलीशा गोयल, रचना सरदाना, पूजा गुप्ता, मनोज बंसल, चेतना खन्ना, अंकित गर्ग तथा शशि मट्टा शामिल थे। उनकी उपस्थिति ने इस संगोष्ठी को और अधिक गरिमामयी बना दिया।