आत्मनिर्भर हरियाणा…. आत्मनिर्भर भारत : उच्चतर शिक्षण संस्थाओं की भूमिका

कॉलेज के द्वारा हरियाणा स्टेट हायर एजुकेशन काउंसिल, पंचकुला हरियाणा, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र एवं स्वदेशी स्वावलम्बन न्यास के सहयोग से ‘आत्मनिर्भर हरियाणा’ के विषय पर वर्कशाप का आयोजन किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य उच्चतर शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को साकार करना है। इसके मूल विचार आत्म निर्भर हरियाणा की अवधारणा स्वरोजगार, कौशल विकास एवं मूल्य आधारित शिक्षा के द्वारा रहा जिससे आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को मूर्त देने में सहायता मिलेगी। इस वर्कशाप का शुभारंभ प्राचार्य डा संजय गोयल के द्वारा सभी अतिथियों एवं वक्ताओं के स्वागत से हुआ। उन्होने आज के मुख्य वक्ता अंकेशवर प्रसाद परीक्षा नियंत्रक, कु.वि.कु., प्रो अनिल वरिष्ठ, डीन छात्र कल्याण, डा राजेश गोयल, सचिव तकनीकी शिक्षा परिषद, हरियाणा सरकार एवं प्रो गुरचरण का इस अति यथार्थवादी आयोजन के लिए धन्यवाद किया। उन्होने कु.वि.कु. का भी आभार जताया जिसने आरकेएसडी कॉलेज को इस अभियान में जिला नोडल केन्द्र नामित किया है। उन्होने अपने सम्भाषण में आज के विषय को रखा। उन्होने बताया कि भारत की जनसंख्या को पूंजी के रूप में बदला जा सकता है तथा आत्म निर्भर भारत के अभियान को सफल बनाया जा सकता है। लगभग सौ वर्ष पहले स्वदेशी आंदोलन की सफलता इसके आधार के रूप में रेखांकित की जा सकती है। मुख्य वक्ता अंकेशवर प्रसाद ने भारत के ऐतिहासिक पक्ष का उदाहरण देकर स्पष्ट किया कि यह अभियान भारत के लिए नया नहीं है, भारत पंद्रहवी शताब्दी तक आत्मनिर्भर रहा है। इसकी जीडीपी इस काल में विश्व की 24 प्रतिशत थी। अब यह अभियान भारत को उसके सुनहरे इतिहास से जोड़ने का प्रयास है। प्रो अनिल वशिष्ठ ने इसे प्रधानमंत्री मोदी का व्यावहारिक एवं दूरदृष्टि वाला कदम करार दिया। उनकी अवधारणाएं वोकल फोर लोकल, आपदा में अवसर इस अभियान की नींव के रूप में देखी जा सकती हैं। उन्होने बताया कि इसे व्यावहारिक रूप देने के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर नोडल अधिकारी एवं सैल का निर्माण कर दिया है। अब सम्बन्धित सभी कालेजों में नोडल सेंटर एवं टीम गठित की जानी हैं। आत्मनिर्भर हरियाणा बनाकर ही आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पा सकते हैं। इसके लिये असंगठित क्षेत्र के महत्व को स्वीकार करना होगा। एस.एम.ई. की अवधारणा स्वरोजगार के नये क्षेत्र को बढ़ावा दे रही है, अतः अब नौकरी की बजाय रोजगार को महत्व देने का समय आ गया है ।अतः शिक्षा संस्थाओं को डिग्री के साथ कौशल, मूल्य एवं चरित्र निर्माण के उदेश्य लेकर बदलाव करने होंगे। डा राजेश गोयल ने विचार दिया कि भारत सोने की चिड़िया एक अंलकार था, जो इसकी आर्थिक रूप से समृद्धि का प्रतीक था। अब भी इस स्थिति को प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए सर्वप्रथम मानसिकता बदलनी होगी। पढ़ाई केवल नौकरी की बजाय ज्ञान एवं कौशल विकास के लिए होनी चाहिए। उन्होने इसके लिए प्रत्येक कॉलेज में हेल्प डेस्क की स्थापना,स्थानीय उधोग एवं व्यापार से जुड़े एवं कामयाब लोगों में सम्बंध स्थापित करना एवं विद्यार्थीयों को प्रथम दृष्ट्या इनसे रूबरू करवाना आवश्यक बताया। इस अवसर पर प्रो रचना सरदाना, डा वीरेंद्र गोयल एवं डा अशोक अत्रि ने अपने सुझावों एवं प्रश्नो के द्वारा जानकारी को समृद्ध किया। प्रो गुरचरण ने सबका धन्यवाद किया। प्राचार्य डा संजय गोयल ने कार्यक्रम के अंत मे यह विश्वास दिलाया कि जिला नोडल केन्द्र के रूप में कॉलेज इस अभियान को सफल बनाने में सभी आवश्यक कदम उठाएगा। कॉलेज पिछले वर्ष से ही रोजगारपरक डिग्री बी. वोकेशनल शुरू कर चुका है एवं जी.एस.टी. एवं स्टाक एक्सचेंज से सम्बंधित सार्टिफिकेट कोर्स इस वर्ष से आरम्भ हो जाएंगे। इस वर्कशाप में कैथल जिला के सभी कालेजों के प्राचार्य, कार्यक्रम अधिकारियों सहित लगभग 95 प्रतिभागीयों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संयोजन डा सूरज वालिया ने बहुत ही प्रभावी ढंग से किया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रो जयबीर धारीवाल एवं डा सुरेंद्र सिंह ने अहम भूमिका निभाई।