First day of talent search competition.

आज सांस्कृतिक प्रतिभा खोज प्रतियोगिता का शुभारंभ कैथल के एस.पी. श्री वीरेंद्र विज (आई. पी. एस.) ने किया। कालेज पहुँचने पर प्रबंधक समिति के प्रधान श्री साकेत मंगल एडवोकेट, उपप्रधान श्री नरेश शोरेवाला, कोषाध्यक्ष श्री श्याम बंसल, आर वी एस के कोषाध्यक्ष श्री सुनील चौधरी, सांध्यकालीन सत्र के प्रधान श्री नवनीत गोयल, श्री कृष्ण बंसल, प्राचार्य डॉक्टर संजय गोयल तथा सांध्यकालीन सत्र के प्राचार्य प्रभारी हरिंदर गुप्ता ने उनका स्वागत किया । एस.पी. महोदय ने अपने अभिभाषण में युवा छात्रों से आह्वान किया कि वे सांस्कृतिक गतिविधियों में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं, उन्हें सामाजिक क्षेत्र में भी अपनी भूमिका निभानी चाहिए। विशेष रुप से ड्रग्स और नशीले पदार्थों से संबंधित जो समस्या है, उसको पुलिस तभी दूर कर सकती है, जब युवा वर्ग सामने आएगा और इस तरह की गतिविधियों की जानकारी देगा। उन्होंने आरकेएसडी कॉलेज की प्रबंधक समिति, प्राचार्य महोदय का आमंत्रण के लिए धन्यवाद किया।
प्रधान श्री साकेत मंगल ने एस.पी. साहिब का धन्यवाद किया और आश्वासन दिया कि हमारा कॉलेज, हमारे छात्र समाज सुधार के हर तरह के प्रयास में प्रशासन का सहयोग करेंगे।
प्राचार्य डॉक्टर संजय गोयल ने सांस्कृतिक गतिविधियों एवं अन्य क्षेत्रों में कॉलेज द्वारा प्राप्त उत्कृष्टता को अतिथियों के सामने रखा। उन्होंने बताया कि आर.के.एस.डी. कॉलेज एक लंबे समय से सांस्कृतिक क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहा है, और आगे भी करता रहेगा। सांस्कृतिक विधाओं के संयोजक डॉक्टर राजेंद्र सिंह ने इस वर्ष की भावी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रूपरेखा सबके सामने रखी।
आज कि प्रतिस्पर्धाओं के परिणाम इस तरह रहे:
1. नृत्य में शुभम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, जबकि त्रिलोक को द्वितीय और अक्षय को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ।
2.गायन में पवन प्रथम, कृतेश द्वितीय और कार्तिक तृतीय स्थान पर रहे।
3.हरियाणवी चुटकलों में राजेंद्र कुमार प्रथम, गोविंद द्वितीय और शिवराज शर्मा तृतीय स्थान पर रहे। 4.हरियाणवी वाद्ययंत्र में कृतेश ने प्रथम और पंकज द्वितीय रहे।
मंच संचालन का कार्य प्रोफेसर नरेश गर्ग, प्रोफेसर जयवीर धारीवाल एवं प्रोफेसर विजेंद्र कुमार ने किया। निर्णायक मंडल में डॉ राजवीर पाराशर, डॉक्टर गगन मित्तल, डा. विकास भारद्वाज, प्रोफेसर श्रीओम, डॉ वीरेंद्र गोयल, डॉक्टर सुशील गुप्ता आदि थे। इसका समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया ।

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