राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: शिक्षक की भूमिका

कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग एवं आई.क्यू.ए.सी. के द्वारा चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय भिवानी के सहयोग से द्वि-दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट वेबिनार ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: शिक्षक की भूमिका’ के विषय को लेकर करवाया गया। इसका शुभारंभ प्रोफेसर राजकुमार मित्तल, उपकुलपति चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय भिवानी ने किया। इस आॅनलाईन कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों से 150 प्रतिभागीयों ने भाग लिया। कार्यक्रम के आरम्भ में डा. सुरज वालिया ने मुख्य विषय को सार रूप में प्रस्तुत किया। प्राचार्य डा संजय गोयल ने मुख्यातिथि का स्वागत किया एवं विषय की प्रासंगिकता को स्पष्ट किया। प्रो. मित्तल ने अपने उद्बोधन में नयी शिक्षा नीति को अहम बताया तथा इसके उद्धेश्यों को पाने में इसका क्रियान्वयन कैसे होगा, यह महत्वपूर्ण होगा। उन्होनें शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षक की भूमिका को सबसे महत्वपूर्ण बताया। उपकुलपति महोदय ने काॅलेज प्रशासन को इस विषय को थीम रूप में विश्लेषण करने पर बधाई दी। डा. वीरेंद्र गोयल ने मुख्य वक्ता का धन्यवाद किया। इसके बाद दुसरे सत्र में डा. शिल्पी अग्रवाल ने विषय विशेषज्ञ डा. संजय मेधावी, विभागाध्यक्ष, वाणिज्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय का स्वागत किया एवं वेबिनार के उप विषयों को प्रस्तुत किया। डा. संजय ने बताया कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य किताबी ज्ञान की बजाय एक अच्छे मानव का निर्माण पहला एवं अंतिम उद्देश्य होना चाहिए, उक्त वाक्य को नयी शिक्षा नीति चरितार्थ कर रही है। उन्होनें भावी रोजगार के आयामों को स्पष्ट किया तथा इसके अनुसार कौशल आधारित शिक्षा देने की बात की। दिन के दुसरे सैशन में मंजूला चौधरी, डीन एकडेमिक अफेयर कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र ने विशेषज्ञ के रूप में अपने विचार प्रकट किए। उनका स्वागत प्राचार्य डा संजय गोयल ने किया। डा. रितु वालिया ने मुख्य वक्ता का परिचय करवाया। प्रो. चौधरी ने अपने सम्भाषण में शिक्षा में आ रहे बदलावों का जिक्र करते हुए एवं लर्निंग एवं इनोवेशन के नये साधनों के महत्व को स्पष्ट किया। उन्होनें शिक्षा नीति के मुख्य आधारों, प्रावधानों एवं शिक्षण संस्थाओं की भूमिका को स्पष्ट किया। उन्होनें इस बात पर जोर दिया की इसके क्रियान्वयन में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है। दोनों सैशन के बाद प्रश्नो- उत्तर का का दौर भी चला। डा. मंजुला गोयल, प्रो. रचना सरदाना, डा. वीरेंद्र गोयल, डा. सुरज वालिया एवं अन्य प्रतिभागीयों ने शिक्षा नीति के बारे में प्रश्न पूछकर सत्र को संजीदा किया एवं ज्ञानवर्धन किया। कार्यक्रम के अंत में डा. रितु वालिया ने सभी प्रतिभागीयों का धन्यवाद प्रस्ताव पढ़ा।
दूसरे दिन का शुभारंभ प्रोफेसर दिलीप कुमार, रजिस्ट्रार एमेटी विश्वविधालय एस. एस. नगर मोहाली ने विशेषज्ञ के रूप में विचार रखे। उनका स्वागत एवं परिचय प्रो. रचना ने किया। प्रो. दिलीप ने भारत को शिक्षा के क्षेत्र में तीसरी उभरती हुई शक्ति बताया। इसके लिए
उच्चतर शिक्षा के लिए विभिन्न स्तरों पर किए गए बदलावों का विश्लेषण किया। उन्होनें आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत किए जा रहे प्रयासों की चर्चा करते हुए कौशल विकास को महत्वपूर्ण बताया। उन्होनें बताया कि इस नीति ने 2025 तक 50 प्रतिशत विद्यार्थीयों को कौशल प्रदान शिक्षा का लक्ष्य रखा। इसके लिए डिजिटल इंडिया अभियान के तहत शिक्षा क्षेत्र में उठाए गये कदमों का भी वर्णन किया। उन्होनें शिक्षक को नयी तकनीक एवं शिक्षण पद्धतियों का ज्ञान लेना आवश्यक बताया एवं इसके लिए किए गये प्रावधानों का वर्णन किया। उन्होनें विशेषरूप से कृषि आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दिया। इस सत्र के अंत में प्रश्नोत्तर की गतिविधि के द्वारा ज्ञानवर्धन किया। दुसरे सत्र में प्रोफेसर निशि पांडे, अंग्रेजी विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपने वक्तव्य में नयी शिक्षा नीति 2020 पर विचार रखे। उनका स्वागत डा. रितु वालिया ने उनका स्वागत किया एवं परिचय पढ़ा। उन्होनें अपने सम्भाषण में विशेषरूप से भाषा, साहित्य के क्षेत्र में आवश्यक बदलावों का विश्लेषण किया। उन्होनें शिक्षा एवं शिक्षक को लर्निंग की तरफ बदलाव की उभरती प्रवृत्ति का जिक्र किया। समापन सत्र में प्रोफेसर चमन लाल गुप्ता ने वेलिडेक्टरी लैक्चर में उक्त विषय के महत्व को रेखाकिंत किया। उनका स्वागत प्राचार्य डा संजय गोयल ने किया। प्रो गुप्ता ने परम्परागत भारतीय शिक्षा पद्धति के महत्व को रेखाकिंत करते हुए कहा कि अंग्रेजों के शासन ने उस पद्धति को समाप्त किया, जिससे मानव का सार्वभौमिक विकास, सम्भव था। नयी शिक्षा नीति 2020 उसी शिक्षा पद्धति को स्थापित करने का पहला कदम है। कोई भी शिक्षा नीति इस बात पर निर्भर करती है कि शिक्षकवर्ग उसे कैसे क्रियान्वित करता है। अतः शिक्षक की जिम्मेवारी ज्यादा बनती है कि इसे वह सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक रूप में भी लागु करे। डा. सुरज वालिया ने मुख्य वक्ता का धन्यवाद किया। फीडबैक के रूप में डा. उदयभान सिंह, गुरू नानक खालसा कॉलेज यमुनानगर, चौ अनिता राणा, चौधरी ईश्वर सिंह कन्या महाविधालय पूंडरी, ने अपने विचार रखें एवं आयोजकों को बधाई दी। डा. सीमा गुप्ता ने इस द्वि-दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की रिपोर्ट पढ़ी। इस कार्यक्रम के संचालन में अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष डा वीरेंद्र गोयल, डा राजबीर पराशर, डा. सीमा गुप्ता, डा. गगन मित्तल, डा सुरेंद्र सिंह, डा सुरूची शर्मा, डा. नरेश प्रो मतीश, प्रो अंकित गर्ग, प्रो. ममता, अमित, बलवान एवं रवि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।