आंतरिक गुणवत्ता मूल्याकंन प्रभाग (आई.क्यू.ए.सी.) के द्वारा ‘नयी शिक्षा नीति 2020’ पर एक व्याख्यान का आयोजन

आंतरिक गुणवत्ता मूल्याकंन प्रभाग (आई.क्यू.ए.सी.) के द्वारा ‘नयी शिक्षा नीति 2020’ पर एक विस्तार व्याख्यान का आयोजन करवाया गया। इसमें कोरोना सम्बन्धी सभी नियमों का पालन करते हुए स्टाफ के सभी सदस्यों ने भाग लिया। इस सैल की संयोजिका डा सीमा गुप्ता ने प्राचार्य एवं सभी प्राध्यापकों का स्वागत किया एवं विषय को विचारार्थ पेश किया। प्राचार्य डा. संजय गोयल ने अपने वक्तव्य में इस बात पर जोर दिया की कोरोना महामारी ने शिक्षा एवं उसके साधनों के प्रयोग में आमुल-चूल परिवर्तन ला दिए हैं। इसके साथ ही ‘नयी शिक्षा नीति’ की भी घोषणा हो गई है। अत: हमें नया सत्र शुरू होने से पहले नयी शिक्षा नीति से अवगत हो जाना चाहिए। इससे हमें अपना लक्ष्य स्पष्ट होगा की भावी समाज के लिए नीति निर्माताओं ने कौनसे लक्ष्य रखे हैं, तथा उन्हें प्राप्त करने का कार्यक्रम क्या होगा। इसके बाद मुख्य वक्ताओं कॉलेज से ही अस्सिटेंट प्रोफेसर डा. अनुकृति एवं डा. श्वेता गर्ग ने पावर प्वाईंट प्रजेन्टेशन के माध्यम से नयी शिक्षा नीति के सभी बिंदूओं को क्रमवार प्रस्तुत किया। प्रो. श्वेता गुप्ता ने शिक्षा नीति के आरम्भ एवं इसके ऐतिहासिक विकास पर प्रकाश डाला। उन्होने स्कूल शिक्षा के बारे में विशेष रूप से अपने विचार रखें। डा. अनुकृति ने उच्चतर शिक्षा के ऐतिहासिक विकास एवं नयी शिक्षा नीति को विस्तार से विश्लेषण किया। उन्होने विशेष रूप से अंतर्विषयक शिक्षा एवं इसके कार्यान्वयन के लिए किये गये प्रावधानों की चर्चा की। उन्होने अध्यापक शिक्षण, आॅनलाईन शिक्षा तथा इसमें तकनीकी का प्रयोग एवं शिक्षा के लिए किए गए वितीय प्रावधानों का भी वर्णन किया। अंत में इस पर चर्चा-परिचर्चा भी हुई। डा. अनिल नरुला, डा. गीता गोयल, प्रो. रचना सरदाना, डा. मंजुला गोयल ने विभिन्न प्रश्नो के द्वारा चर्चा को आगे बढ़ाया। डा. सी.बी. सैनी एवं प्राचार्य डा. संजय गोयल ने इस विचार के साथ चर्चा-परिचर्चा को सम्पन्न किया की किसी भी नीति का अच्छा या बुरा होना इसके क्रियान्वयन पर निर्भर करता है।